यह दिलचस्प वाकया 1975/76 का है lउन दिनों मैं "आज "कानपुर में रिपोर्टर हुआ करता था l ईद के दूसरे दिन वहां चमनग्ंज में टर्र का बड़ा मेला लगता था l मैंने अभय शर्मा से कहा था कि तुम मेले की एक फोटो ले आना तो एक खबर लगा दी जायेगी l मेरा घर भी चमनगंज में ही था l बहरहाल अभय दोपहर ढले घबराया सा मेरे पास आया और बताया कि कैमरा चोरी हो गया है l हुआ यह था कि वह फोटो खींचने गया और चमनगंज चौराहे पर स्कूटर एक किनारे लगाकर फोटो खींचने जा ही रहा था कि कुछ लड़के वहां आये और उसे बातों में उलझा लिया l कैमरा और फ्लैश स्कूटर में आगे रखा था l अभय बातों में उलझ गया और कैमरा पार हो गया l मैंने उसे दिलासा दिया और उसके साथ मौका ए वारदात पर पहुंचा ।
वहां भला कैमरे का क्या पता चलता ! कुछ कदम की दूरी पर उर्दू दैनिक सियासत जदीद का दफ्तर था l वहां मेरा रोज ही बैठना उठना होता था l अखबार के मालिक मरहूम मौलाना इसहाक इल्मी साहब मुझे बेटे की तरह मानते थे सो सोचा कि यह घटना उनके कान में भी डाल दी जाये l मौलाना साहब भी हैरत में पड़े और सलाह दी कि पुलिस में रपट तो लिखा ही दो I हम रायपुरवा थाना पहुचे और रपट दर्ज करवाई I थानेदार महोदय ने पुलिसिया तरीके से हमें आश्वस्त किया कि कैमरा जल्द ही बरामद हो जायेगा और चोर पकड़ा जायेगा l
कई दिन गुजर गए मगर पुलिस की तरफ से कोई खबर न मिली तो थानेदार को फिर खड़खड़ाया I वो बोले कि तसल्ली रखिये I हमने सारे फोटोग्राफरों को आगाह कर दिया है I चोर कैमरा बेंचने जायेगा तो उनके ही पास I चोर कैमरा बेंचने पहुंचा नहीं कि हमने उसे धरा नहीं l
वह दिन तो कभी आया नहीं मगर एक दिन मौलाना साहब के चपरासी मजीद मियां घर आये और बोले चलिए मौलाना साहब आपको याद कर रहे हैं I मैं पहुंचा तो मौलाना साहब मुस्कराये lबोले खाली हाथ क्यों आये I जाईये मिठाई लेकर आइये lमैंने कहा हाजिर करता हूं मगर सबब तो बताईये I वह फिर मुस्कराये और अपनी मेज के नीचे से कैमरा निकालकर टेबल पर रख दिया I मेरे आश्चर्य का तो ठिकाना नहीं ! मैंने कहा यह आपके पास कैसे पहुंचा ? वो बोले यह मत पूछो ,बस कैमरा ले जाओ । कोई इसे मेरे पास पहुंचा गया है और वचन ले गया है कि किसी को कुछ न बताऊं l
बाद में मजीद मियां ने बताया कि कैमरा वकील अख्तर पहुंचा गया था जिसे मौलाना साहब ने तलब करके कैमरे का पता लगाने की हिदायत दी थी l
वकील अख्तर चमनगंज इलाके का नामी गिरामी बदमाश था और उसे मैं भी जानता था l
(कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील शुक्ला यह स्मरण सांझा किए हैं)
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