Waiting on platform : साउथ का असर है जहां हम एक दिन फ्लाइट और 7 स्टार होटेल के लिए लड़ते थे, अपनी औकात इसी से नापते थे वो मानसिकता जल गई जब मैंने राजा मौली सर् और रजनीकांत के साथ जमीन पर बैठ कर रोटी खाई, ये लोग ऐसे ही बहुत जमीनी हैं। आज हमे अब लगता ही नही की ये ट्रैन से जाना, प्लेटफार्म पर आम नागरिकों की तरह ट्रैन का इंतजार करना या कई किलोमीटर पैदल चलने से हमारी औकात घट जाएगी। साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री से हम ज्यादा फिल्में बनाते हैं पर वे आज हम 20 साल पीछे छोड़ गए, क्यो.. बस यही सीखने तो साउथ में आया हूँ। ये मैसेज हमारे हिंदी इंडस्ट्री और हिंदी इंडस्ट्री से संबंधित क्षेत्रीय कलाकारों के लिए है जिन्हें थोड़ी सी शोहरत मिलने के बाद पर निकल आते हैं। हमलोग 5000 एपीसीड निर्देशित कर, 5 फिल्में प्रदर्शित कर, नेशनल अवॉर्ड के साथ सैकड़ो सम्मान से सम्मानित होकर, जी टीवी में इतने बड़े अधिकारी होने के बाद भी ऐसे हैं। हालिया मैं मैथिली फ़िल्म की डबिंग के दरम्यान उनलोगों से मिला जो लोग पहले उतने सफल नही थे आजकल कोई ईयूटुबे बनाकर फेमस हैं कोई अच्छा काम करके नाम बना लिए हैं कोई अच्छा कलाकार भी बन चुका है सबने मुझे एहसास दिलाया कि आजकल भाई मैं बहुत आगे हुन और मेरा रेट ये हैं, मैथिली के नाम पर मजाल है कि कुछ एक दो कलाकार को छोड़कर किसी ने कोई समझौता किया हो, कथनी और करनी में कमाल का अंतर रहा। एक कलाकार को डबिंग के लिए जब कहाँ तो उसने यहां तक कह दिया कि सर् आजकल मैं सिर्फ हीरो की डबिंग करता हु, मैं स्तब्ध रह गया ये वो लोग थे जिनको मैंने एक खोली की जिंदगी से फ्लैट तक का सफर करते देखा है, बस सोचता रह गया कि अगर इनमें इतनी अकड़ आ गई तो हमे तो हवा में महल बनाकर इन्हें अपने जूते के नीचे रखना चाहिए इतनी तो हमारी भी औकात हो गई। खैर आज हम पीछे हैं और साउथ से लगातार पीछे जा रहे हैं और जाएंगे। हमारे यहां सिर्फ गोल गोल बाते करने वाले ज्यादातर होते हैं मौका आते ही अपना असली रूप दिखाते है भले ही विन्रमता से दिखाये। साउथ से सीखने की जरूरत है ऐसा नही है कि यहां के स्टार गरीब है या इनके पास महंगी गाड़ियां नही है बस ये अपनी सभ्यता और संस्कृति से कमाल के जुड़े हैं, इनके यहां फ्लैट में सिर्फ पति पत्नी और बच्चे नही होते, वो बूढ़ी माँ वो बूढ़े बाप भी होते हैं, जब मा बाप काम।पर होते हैं तो उन्हें सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान देने वाले दादा और दादी मिलते हैं उन्हें घर पर। हमारे यहां अगर इस बात का जिक्र कर दो तो 99% लोग फक्र से एक झूठी बात बोलेंगे की अरे वो यहां ही नही चाहते या उनका तो मन ही नही लगता। हमे इससे ऊपर आना होगा, दिखावा सिर्फ अपनी मार्केटिंग के लिए होनी चाहिए, न कि अपने वास्तविक जीवन मे लाकर एक झूठी जिंदगी जीने के आदि हो जाये। मेरी एक फ़िल्म बहुत जल्द प्रदर्शित होगी " राजा सलहेस " थोड़ा इंतजार कीजिये।
देश के जाने-माने फिल्म निदेशक संतोष बादल के फेसबुक से साभार
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