बचपन में काटा कुत्ता फिर काशी से कश्मीर,दिल्ली से दार्जिलिंग तक के कुत्तों से कैसे हो गया याराना
लखनऊ विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान पढ़ाया गया था कि कुत्ता आदमी को काटे तो खबर नहीं है लेकिन आदमी अगर कुते को काटे तो खबर है। समय के साथ ज्ञान विज्ञान में बदलाव के साथ यह पढ़ाई पलट गई है। देश की राजधानी में दूसरी पारी के दौरान तो पक्का विश्वास हो गया कि किताबी ज्ञान से ज्यादा समय और स्थान को देखकर बदलाव के मांग की ज्यादा अहमियत है। बस्ती के घर में तो गाय हम लोग पालते थे लेकिन कुत्ते के काटने से देश में जब 14 दिन 14 इंजेक्शन लगता था, उस समय का भुक्तभोगी हूं। पापा साइकल के डंडे पर बैठाकर तुरकहिया से बस्ती के जिला अस्पताल ले जाते थे। पंडित गंगाधर मिश्रा हमारे मौसा संग वार्ड मास्टर थे उनकी देखरेख में यह इंजेक्शन लगता था। घर आने पर माता जी जिस जगह इंजेक्शन लगता था उस जगह गरम पानी से सेंकती थी। खैर यह तो अपना निजी अनुभव था। बस्ती के घर पर गली के कुत्तों को रोटी गुड़ खिलाने की हम भाई बहन की ड्यूटी भी रहती थी। देश के कई राज्यों में काम करने के दौरान कुत्तों के रंग रूप और व्यवहार को लेकर अनुभव का अपने पास काफी खजाना है। कुत्तों से दोस्ती की बात करें तो कई किस्से सुनाने होंगे। पढ़ाई के बाद ऐसे पेशे में आ गया जिसके कारिंदों को वॉच डॉग भी कहा जाता है। आपके इस रोमिंग वॉच वॉच को इस बार एनसीआर में कुत्तों के नोंचने की घटनाओं जंहा ज्यादा सुनने को मिली वंही स्ट्रीट डॉग के हक और हुक़ूक़ की बात करती डॉग मदर से भी संपर्क हुआ। कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ने के बाद इनके पंजीकरण से लेकर तमाम मेडिकल कसरत भी होने लगा है। देशी कुत्ते जंहा विदेश में गोद लिए जाने के बाद सात समंदर पार जा रहें वंही विदेशी नस्ल के कुत्तों के बच्चों का बड़ा बाजार खड़ा हो गया है। कुत्तों के साथ इनके खाने पीने से लेकर गले के बेल्ट से लेकर सोने के लिए बिस्तर से लेकर डिजाइनर ड्रेस भी आ गए हैं। मालिक के साथ मॉर्निंग वॉक पर जब सड़क किनारे पोट्टी करने ऐसे कुत्ते निकलते हैं तो सड़क पर जिंदगी बिताने वाले कुत्तों की आंखों में देखेंगे तो अमीर और गरीब का फर्क भी दिखेगा। कुत्तों का इंसानों ने ब्रीड तय करके उनके बीच हैसियत की दीवार भले ही बाजार के लिए खड़ा कर दिया लेकिन सभी कुत्तों के रोटी के अधिकार की बात नहीं होने का दर्द आप भी किसी भूखे प्यासे कुत्ते की आंख से टपकते आंसू देखकर दिल से पढ़ सकते हैं। हिंदुस्तान कानपुर में काम करने के दौरान बुंदेलखंड की धरती पर भ्रमण करने का मौका मिला तो तो झांसी ज़िले के मऊरानीपुर तहसील में कुतिया महारानी का मंदिर देखकर यह वॉच डॉग भी शीश नवाने में संकोच नहीं महसूस किया। हुआ है। यहां के कई गांवों में तो मांगलिक कार्यक्रमों में भोजन का पहला चढ़ावा कुतिया महारानी को दिया जाता है। नोएडा के चिपियाना गांव में भैरव मंदिर के पास कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा के पास एक तालाब बना हुआ है जहां हर शनिवार भैरव मंदिर में जाने वाले दर्शनार्थी यहां भी आस्था से सिर नवाना नहीं भूलते हैं। काशी से कश्मीर तक दिल्ली से दार्जलिंग तक कुत्तों से आंखों ही आंखों में प्यार से लेकर पेट तक की बात अक्सर होती रहती है। इस संवाद में अक्सर उनकी पीड़ा देखकर मन दुखी हो जाता है। रविवार को इंडिया गेट पर घूमने के दौरान एक डॉगी पर नजर पड़ी। उसके साथ अपना संवाद क्या हुआ, यह आगे किसी दिन सुनाएंगे अभी इसको देखें पसंद आए तो दोस्तों को भी शेयर करें
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