अमर उजाला जम्मू कश्मीर में 15 साल पहले जब खबरनवीसी कर रहा था तब वंहा के हिंदुओं के आंखों में खून के आंसू सूखने के बाद भी कंही जाने पर अक्सर दिख जाते थे। कश्मीर में पत्रकारिता की पिच जो कलम चली कुछ दर्द डायरी में ही रह गए। पुरानी यादों को समेटने की कड़ी में कश्मीर के बारामूला से रात को आए एक फोन ने जगा दिया। रात के 11 बजे होंगे जब एक अज्ञात नम्बर से फोन आया.. हैलो बोलने पर उधर से आवाज सुनाई पड़ी जय माता दी .. जवाब में जय माता दी बोलने पर पूछा आप अमर उजाला अखबार के नुमाइंदा दिनेश मिश्र अंकल बोल रहे हैं न.. हां दिनेश मिश्र ही बोल रहा हूँ अखबार अब बदल गया है तुम कौन बोल रहे हो बेटा... अंकल मैं पंडित राम निवास पंगोत्रा के परिवार से बोल रहा हूं। वह हमारे दादा थे अब दुनियां में नहीं हैं, आप अमर उजाला में उनकी खबर निकाले थे क्या यह याद है आपको? हां जवाब देने के बाद पंडित जी के बारे में पूछा तो पता चला दो साल पहले कोरोना में वह चले गए। यह सुनकर बहुत दुःख हुआ। भगवान से उनकी आत्मा के शांति की विनती करते हुए कहा और बताओ बेटा सब लोग कैसे हैं घर में। अंकल दादा के बाद पापा भी नहीं रहे, वह भी कोरोना के शिकार हो गए थे। दादा की पूजा की किताबों के बंडल में अमर उजाला में दादा के कश्मीर पलायन के दर्द को लेकर एक खबर की कटिंग भी थी, उसमें आपका नम्बर लिखा था। अखबार की कतरन गलने के साथ अंतिम के दो नम्बर भी मिट गए थे। मिटे नम्बर के अवशेष देखकर अंदाजा लगाकर कई नम्बर मिलाने के बाद आपका नम्बर सही मिला है। इतनी रात को फोन कोई खास बात बेटा। अंकल दादा तो जीते जी कश्मीर घाटी में नहीं लौट पाए लेकिन मैं अब आ गया हूं। दादा खून के आंसू रोये थे, मेरे आंखों में खुशी के आंसू है। अंकल आपसे मिला नहीं हूं लेकिन दादा के पूजा की पोथी में आपका नाम देखकर खुद को नहीं रोक सका। यह सुनकर कहा बेटा आपके दादा नहीं है लेकिन उनके आशीर्वाद और संघर्ष की बदौलत ही आज यह अच्छे दिन देखने को मिले हैं। माता रानी और महादेव का आशीर्वाद हमेशा बना रहे, यह मेरी कामना है। कभी दिल्ली आना तो याद करना बेटा तुमको ढेर सारा आशीर्वाद। कश्मीर से सभी पलायित हिंदुओं के ज़िंदगी में यह दिन आए यह मेरी कामना है।
पंडित रामनिवास पंगोत्रा के परिवार से आयी फोन के पीछे कारण जिस कश्मीर से हिंदुओं को खदेड़ा गया था, वहां फिर अब बसने की खबर थी। जम्मू कश्मीर के बारामुला, गांदरबल और शोपियां जिले में कश्मीरी हिन्दुओं के लिए ट्रांजिट कैंप बनकर पूरी तरह तैयार हो चुके हैं। घाटी में कश्मीरी हिन्दुओं को पुनर्स्थापित किए जाने को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाने का श्रीगणेश हो गया है। प्रदेश सरकार द्वारा घाटी में PM पैकेज के तहत घाटी में काम कर रहे कश्मीरी हिन्दुओं को मकान सौंपने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मियों के लिए 40.22 करोड़ रुपयों की लागत से बारामुला में 336 फ्लैट तैयार किए गए हैं। इनमें से 192 फ्लैट को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीरी हिन्दू कर्मियों के नाम किया है। सरकार के इस कदम से कश्मीरी हिन्दुओं में ख़ुशी की लहर है और उन्होंने सरकार के इस कदम की जमकर सराहना भी की है। कश्मीर संभाग के 10 जिलों में बनाए जा रहे ट्रांजिट कैंप में से 3 जिले- शोपियां, गांदरबल और बारामुला के ट्रांजिट कैंप का उट्घाटन कर 576 फ्लैट कश्मीरी हिन्दुओं के नाम कर दिए गए हैं। लिहाजा इस मौके पर काफी संख्या में कश्मीरी हिन्दू कार्यक्रम में मौजूद रहे, जो जम्मू कश्मीर में पिछले कई वर्षों से पीएम पैकेज के तहत अलग-अलग जिलों में कार्यरत हैं। घाटी में टारगेट किलिंग की घटनाओं से परेशान होकर कश्मीरी हिन्दू कर्मचारियों ने सरकार से एकोमोडेशन और सुरक्षा की मांग की थी, जिसे आज पूरा कर दिया गया।
प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थित कश्मीरी हिन्दुओं को संबोधित करते हुए कहा की इस वर्ष के आखिर तक कश्मीरी हिन्दुओं को 2000 फ्लैट्स सौंपे जाएंगे और 2024 तक ये प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सिन्हा ने आगे कहा 1990 के दशक में यहाँ से पलायन कर चुके कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापसी के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है।
क्रमश:
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