सुबह-ए-बनारस
देखकर पली-बढ़ी,पढ़ाई-लिखाई के बाद ब्रिटेन आने के बाद नब्बे के दशक पति के साथ बुडापेस्ट
घूमने पहुंची। बुडापेस्ट पहुंचते ही सारी थकान और भूख रफूचक्कर थे और मचलती थिरकती धुनें बारबार राजकपूर की फिल्में और दिवगंत शंकर जयकिशन की यादें दिलाती चली गयीं। पता नहीं किसका किस पर असर था, पर मन में एक नयी आत्मीयता से भर चुका था। मेरी तल्लीनता देख उसने खुद मुस्कुराकर बताया कि ‘ हमारा संगीत बहुत कुछ तुम्हारे भारतीय संगीत की तरह ही है।’ और मैं अब हर हंगेरियन को ध्यान से देखने लगी। शायद यह भी कभी हमारी तरह ही थे। इनके सोचने का तरीका तो जरूर हमारी तरह ही था। वही दुख से जुड़े रहने की एक मजबूर सी आदत। वही संघर्षरत जीवन- वही झूठी शान में डूबे रहना- वरना गाइड चर्च घुमाते हुए कुछ यूँ न कहती कि पेगन धर्म के पिछड़ेपन से निकलने में हमें भी कई सौ साल लग गये थे। शायद यह भी अब यूरोपियन कम्यूनिटी में जुड़ने का बड़ी बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं। पाश्चात्य के भौतिक विकास से यह भी तुरंत ही जुड़ जाना चाहते हैं। पुर्तगाल और ग्रीस की आर्थिक समृद्धि की मिसाल हर पल इनकी आँखों के सामने है। पर आगे बढ़ने की धुन में उम्मीद है यह अपनी संस्कृति और कला नहीं भूलेंगे क्योंकि मुझे बहुत सारा जो इनके देश में सुन्दर और आकर्षक लगा, पुराना और अतीत से जुड़ा हुआ ही था।
इन्होंने आज भी अपना अच्छा-बुरा सब संजो रखा है। कुछ एक खुले घाव-से अपने अपमान और हार के निशान भी छोड़ रखे हैं, जिससे कि सुखमय वर्तमान संघर्षमय अतीत का आभारी रह पाए। सजी संवरी इमारतों के बीच आज भी एक इमारत यूं ही गोलियों से बिंधी और टूटी-फूटी खड़ी दिखाई दी। उसकी किसी ने मरम्मत नहीं की। किसी ने सजाया संवारा नहीं, जिससे कि याद रखा जा सके कि इनके साथ क्या-क्या बीती थी। शायद हमारी तरह इन पौलीएशियन लोगोंके लिए भी इनका अतीत और इतिहास अपनी सारी जिल्लत और दर्द के साथ भी एक गौरव का ही विषय है। क्योंकि काले और घुप अँधेरों से निकलकर यह भी हमारी तरह ही एक समृद्ध और सुखी सदी और भविष्य का सपना देखने वाले लोग हैं।
(बनारस में 1947 में पैदा हुई शैल अग्रवाल, बीएचयू से पढ़ाई-लिखाई
के बाद 1968 से सपरिवार इंगलैंड में ही रहती हैं। साठ से अधिक देशों का भ्रमण कर चुकी शैल
रोमिंग जर्नलिस्ट संग नब्बे के दशक में बुडपेस्ट की यात्रा का संस्मरण शेयर कर रही
हैं, आप हमसे जुड़े रहें, दोस्तों को यह ब्लाग शेयर करें आगे भी आप शैल जी संग दुनिया की सैर करेंगे)
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