बिना न्यूज़ का अख़बार जैसे कबाड़ की दुकान-------
जब पत्रकारिता शुरू की तो उन दिनों हिंदी का अख़बार आमतौर पर आठ पन्नों का होता था..लेकिन विज्ञापन न होने की वजह से संपादकीय पेज को छोड़ बाकि सातों पन्ने ख़बरों से लबालब होते..और ख़बरें ही नहीं ख़बरों के साथ साथ ख़बरों का विश्लेषण भी..पहले पृष्ठ पर लीड या सेकेण्ड लीड तो होती ही थी..पहले पेज पर बॉटम स्प्रेड या एंकर के लिए भी जगह पुख्ता होती..उस जगह पर बड़ी से बड़ी खबर के अंदर की खबर देने का रिवाज़ था..मसलन कश्मीर में यूरोपीय सांसदों का दौरा..
उन दिनों हर बड़ा अखबारी संस्थान विदेशों में अपने संवाददाता नियुक्त करता था..तो कश्मीर दौरे पर गए इन सांसदों और इन का कश्मीर दौरा कराने वाली वो शर्मा मेडम..इन सबकी जन्मकुंडली अंग्रेजी अख़बार के लिए भेजी जाती..और उस संस्थान के हिंदी अख़बार के लिए अनुवाद हम डेस्क वाले करते..तो वो अख़बार ख़बरों वाला होता था न कि जुमलेबाजी वाला..
नवभारत टाइम्स लखनऊ में ऐसा कई बार हुआ कि हम सब पत्रकार किसी खबर को देने के लिए अड़ गए और स्थानीय संपादक सिर झुका कर निकल लिए..क्योंकि वो खबर सरकार का बाजा बजा देने वाली होती थी..क्योंकि तब दिल्ली में हमारे सम्पादक राजेन्द्र माथुर होते थे..
जनसत्ता में रहते हुए तो खबर के अंदर की खबर ने बोफर्स, स्वीडन, अमिताभ बच्चन, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना की दुर्गति, पंजाब के आतंकवाद पर रिपोर्टिंग आदि ने राजीव गांधी और उनकी सरकार के धुर्रे उड़ा दिए थे..यह सारी ख़बरें एक्सप्रेस न्यूज़ सर्विस की देन होतीं, जिसे एक्सप्रेस वाले तो आराम से चांप लेते लेकिन हम हिंदी वालों की हालत अनुवाद कर कर के तबाह हो जाती..लेकिन जब अगले दिन अख़बार देखते तो सारी थकान दूर हो जाती..क्योंकि तब दिल्ली में हमारे सम्पादक प्रभाष जोशी होते थे..
पहले पेज का एंकर अक्सर डेस्क के लोग लिखते जो रिपोर्टर की खबर के अंदर की खबर भांपने की लियाकत रखते थे..यह सिलसिला मेरे सामने 2008 तक हिंदुस्तान में चलता रहा था..और सरकार की करतूतों को उजागर करने में अपनी लेखनी के जरिये बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया करता था क्योंकि तब दिल्ली में हमारी प्रधान संपादक मृणाल पांडे होती थीं..उन्होंने कभी हमें हमलावर होने से नहीं रोका..यह मेरा अपना अनुभव है...
(देश के नामचीन पत्रकार व हिंदुस्तान के संपादक रह चुके राजीव मित्तल ने रोमिंग जर्नलिस्ट संग पत्रकारिता से जुड़ी इन पुरानी यादो ंको शेयर किया है)
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