बात चालीस साल से भी ज्यादा पुरानी और उसके बाद की भी। लिखने - पढ़ने के शौक के साथ तब रचनाएं पहुंचाना एक बड़ा काम हुआ करता था और फिर यह इंतजार करना और बड़ा काम कि वो कब छपेंगी ।ज्यादातर लिखने का काम रातजगा कर करना पड़ता था। सुबह- दोपहर , यूनिवर्सिटी या नौकरी और रात में अतिरिक्त लिखने की मशक्कत।और फिर सुबह उन्हें सही जगह पहुंचाने का जतन। स्थानीय अखबारों में खुद जाकर संपादक या फिर फीचर संपादक को देना और शहर से बाहर हुआ तो अब विलुप्त से हो चुके डाक विभाग की सेवाएं लेना। लेकिन सही जगह पहुंचाने की जगह से ज्यादा खुशी तो तब होती थी, जब रिपोर्ट या रचना का स्वीकृति पत्र अपनी मेज पर पड़ा होता दिखता। और भी खुशी का ठिकाना तब होता जब मनीआर्डर का पैसा भी मेज पर रखा मिलता । तब चेक के दौर कम ही हुआ करते थे। ज्यादातर हम सभी लोग वहीं लिखते जो पैसा देते । उन दिनों धर्मयुग , साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान , अवकाश , सरिता , मु्क्ता आदि ऐसी जगह थीं जहां पैसा भी ठीक- ठाक मिल जाता था और ये सभी सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पत्रिकाएं हुआ करती थीं।
दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओँ (सरिता व मुक्ता ) का एक और फायदा था कि ये सभी स्वीकृत रचनाओं की भुगतान अग्रिम कर दिया कर देते थे, चेक के माध्यम से। पर होता थोड़ा कम ही था। इन स्वीकृति पत्रों को संभाल पाना बहुत मुश्किल रहा । जो दीमक महाराज से बचे , धीरे - धीरे जगह की तंगी ने उन्हें रद्दी में डाल दिया पर पिछले दिनों और सफाई के प्रयास में कुछ ऐेसे पत्र भी मिले जो अब लगता है कि बहुत कीमती हैं। मनोहर श्याम जोशी, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर और न जाने कितनी नामवर हस्तियों के ये पत्र उनकी तो याद दिलाते ही हैं , देश की सर्वश्रेष्ठ माने जानी वाली पत्रिकाओँ में छपने के गौरव को भी बताते हैं।एक पत्र इसमें हमारे वरिष्ठ प्रमोद जोशी जी का भी है जो उन्होंने दैनिक स्वतंत्र भारत में छपी कहानी के मौके पर भेजा था। इंटरनेट युग के नए साथी उस मशक्कत और प्रेम को शायद न समझ पाएं पर वो दौर अलग था और याद रखने के लायक भी।
- (देश के जाने-माने पत्रकार अकु श्रीवास्तव ने रोमिंग जर्नलिस्ट संग इन खूबसूरत यादों को शेयर किया। वर्तमान में दिल्ली से प्रकाशित पंजाबकेसरी समूह के नवोदय टाइम्स के एक्जीक्यूटिव एडीटर हैं)
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/