रोमिंग जर्नलिस्ट की रिपोर्ट 26
पहली जनवरी की सुबह जब नींद खुली तो भगवान भास्कर के तेज से सर्द हवाएं थोड़ा गर्म हो चली थी। फ्रेश होने के बाद मीटिंग के आफिस पहुंचा तो संपादक जी आ चुके थे। एक दूसरे को हैप्पी न्यू ईयर कहने का दौर दस-पंद्रह मिनट तक चलता रहा। मीटिंग का कोरम पूरा होने के बाद सबसे पहला काम पिता जो को फोन लगाने का किया, क्योंकि पहली जनवरी को पिता जी का जन्मदिन होता है। नौकरी से पहले बस्ती में जब घर पर सभी लोग रहते थे तो पिता जी के जन्मदिन को गर्मागर्म जलेबी और दही खाकर मनाया जाता था। जुबान आज भी वह जायका नहीं भूली। पिता जी को प्रणाम करके आर्शीवाद लेने के बाद जब उन्हें इस जायके की याद दिलाई तो उन्होंने बड़े प्यार से समझाते हुए कहा कि नौकरी के चक्कर में तुम घर से इतनी दूर चले गए हो, वहां पर घर जैसा जायका कहां मिलेगा। मेरी बात मानो तो अभी भी घर आ जाओ, मैने उनको आश्वस्त करते हुए कहा कि जल्दी ही आएंगे। पिता जी से बात करने के बाद बनारस में फोन मिलाया तो छोटी बेटी ने फोन उठाते ही उलाहना भरे स्वर में कहा पापा मुझे अपने सहेलियों को न्यू ईयर कार्ड देना है कौन खरीदवाएगा। घर में मेरी छोटी बेटी को मेरी इस पत्रकारिता की नौकरी से होने वाली दूरी की सबसे ज्यादा शिकायत रहती है। उसको समझाते हुए कहा कि तुम्हारे लिए ग्रीटिंग कार्ड यहां से ले आऊंगा। साल के पहले ही दिन अपनो से इतनी दूरी होने के कारण मन बहुत उदास हो गया था। आफिस से पैदल ही तवी नदी का पुल पार करते हुए रघुनाथ बाजार पहुंच गया। दिल में भगवान राम का दर्शन करने की इच्छा जागृत हुई। रघुनाथ मंदिर के सामने जम्मू में मित्र बन गए नवीन की ड्राई फ्रूट की दुकान पर पहुंचा। बेल्ट और मोबाइल रखकर दर्शन के लिए लाइन में लग गया। गेट पर तैनात सीआरपीएफ के जवान अजब सिंह यादव से एक बार फिर मुलाकात हुई। हैप्पी न्यू ईयर बोलने के बाद उसकी आंखों में जो अपनत्व की चमक दिखी, उसे देखकर लगा राम-भरत का जब चित्रकूट में मिलाप हुआ होगा तो शायद उनकी आंखों में यही चमक रही होगी। अजब सिंह बोले दर्शन करके वापस आइए फिर आपसे बात करते हैें। भगवान का स्मरण करते हुए मंदिर के अंदर पहुंचा सामने रामदरबार सजा था, आंख बंदकर शीश झुकाकर मन में कहा कि आप तो भगवान है, सर्वज्ञ है। मेरी व्यथा से भलीभांति परिचित है। इसलिए मेरे लिए जो उचित समझे वही कीजिएगा,जरूर कीजिएगा प्रभु। प्रार्थना करने के बाद मंदिर से बाहर निकला तो अजब सिंह यादव राह ही देख रहे थेे। देखते ही बोले गुरु जी नववर्ष पर मेरी तरफ से एक चाय स्वीकार लीजिए। उनके आग्रह भरे स्वर को सुनकर उनके साथ चाय की दुकान की तरफ बढ़ गया। अजब सिंह बोले मिश्रा जी आपने करवाचौथ पर जो खबर लिखी थी.. आसमां में निकलेगा चांद, आवाज में दिखेगी अक्स, उसको मेरी घरवाली ने भी पढ़ा था। करवाचौथ के अगले दिन उसका फोन आया। वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है, सिर्फ दस्तखत बना लेती है, अखबार पढ़ लेती है। एकाध बार मेरे साथ पिक्चर देखने गयी है। उस खबर को पढक़र इतना खुश हुई कि पूछिए मत। मैने हंसते हुए कहा चलिए आप लोगों के दिल की बात मैं आपके घरवालों तक पहुंचा सका, इससे बड़ी खुशी मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती। अजब सिंह का दिल अभी कुछ कहने को बेताब था, चाय की चुस्कियों के संग मैने कहा भाई आपकी खुशी मेरी खुशी है। वह बोले मिश्रा जी दस साल शादी को हो गए हैं, पहली बार मेरी घरवाली ने उस खबर को पढक़र बोला आई लव यू। बीबी का इतना प्यार पहली बार देखा, उसने अगल-बगल में सबको उस खबर पढ़ाया। अजब सिंह भाव-विह्वïल हो गए थे, बोले मिश्रा जी आपके लिए मैं कुछ नहीं कर सकता लेकिन आपका यह भाई अगर किसी भी दिन थोड़ा सा भी आपके काम आ गया तो अपने को धन्य समझेगा। अजब की बातों को सुनकर मैं भी अपने को रोक नहीं सका, बोला भाई आप मेरे लिए क्या भारत मां की रक्षा के लिए जिस तरह सतत जुटे हैं, उसके लिए मैं आपके किसी काम आया, तो यह मेरा अहोभाज्य है। इसके लिए आप अमर उजाला को धन्यवाद दीजिए जिसने आपके दिल की बात को देश के कोने-कोने तक पहुंचायी। चाय खत्म हो चली थी, अजब सिंह से विदा लेकर सूरी ड्राई फ्रूट पर पहुंचा तो नवीन को देखते ही जय माता की कहकर अभिवादन किया। बेल्ट और मोबाइल थमाते हुए नवीन बोले आपके फोन पर कई काल आए हैं,चेक कर लीजिएगा। जींस में बेल्ट लगाने के बाद मोबाइल पर निगाह डाली तो चौंक गया। अमर उजाला के तत्कालीन समूह संपादक शशि शेखर और जम्मू के संपादक प्रमोद भारद्वाज के पांच मिस्ड काल थे। दिमाग में तरह-तरह के अच्छे-बुरे ख्याल आने लगे और सोच में पड़ गया कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि जो शशि शेखर जी को दो बार फोन करने की जरूरत पड़ी। दिमाग में यही उधेड़बुन चल रही था कि प्रमोद भारद्वाज का फिर से फोन आ गया.. मैने कहा प्रणाम सर.. वह बोले कहां हो तुम, न मेरा फोन उठा रहे हो व न बिग बास का? उनको अपने रघुनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करने के बारे में बताया तो वह शांत स्वर में बोले बास(शशि शेखर) का फोन आया था, उन्होंने वह कल तुमको नोएडा में बुलाया हैं। मैने तुम्हारा पूजा एक्सप्रेस मैं रिर्जवेशन करा दिया है, तुम आज रात को नोएडा से निकल जाओ, तुम्हारे पास यहां सामान क्या है? केवल एक एयर बैग सर..उन्होंने उसको भी लेते जाना। अचानक इस आदेश को सुनकर दिल में कई तरह के सवा उठने लगे। मैने पूछा कोई खास बात है सर? प्रमोद जी बोले मुझे कोई जानकारी नहीं है, बास का जिनता आदेश था, उतना बता दिया, बाकी माता रानी का आर्शीवाद तुम्हारे साथ है। घड़ी की ओर नजर डाली तो दोपहर के एक बज गया था। रघुनाथ मंदिर से सीधे गांधीनगर स्थित मकान पर पहुंचा। तो अचानक दोपहर में आया देखकर अनिमेष और योगेंद्र चौंक गए, बोले सर.. आप इस समय कैसे? उनको पूरी बात बताते हुए बैग पैक करने में लग गया। एक घंटे में अनिमेष के साथ अमर उजाला आफिस पहुंचा। बैग रखने के बाद रघुनाथ बाजार पहुंचकर कुछ जरूरी खरीदारी की, पुन:वापस पहुंचा। आफिस पहुंचा तो प्रमोद भारद्वाज जी आफिस में नहीं थे, उनसे फोन पर बात हुई तो उन्होंने अनुमति देते हुए कहा कि तुम चले जाओ फिर मुलाकात होगी। पर इतने दिनों में उनसे जो आत्मीयता और प्रगाढ़ता हो गयी थी, उस कारण उनसे बिना मिले चले जाना दिल को गवारा नहीं था। मैने अनिमेष से पूछा संपादक जी का घर जानते हो, उसने जैसे हामी भरी हम दोनों तुरंत संपादक जी के घर पहुंचे। मैने उनके चरण स्पर्श कर आर्शीवाद लिया तो मिठाई खिलाने के बाद उन्होंने कहा कि इतने दिनों में तुम्हारे साथ काम करने में जो आनंद आया है, उसको मैं हमेशा मिस करता रहंूगा। जाओ बास से मिलो और संपर्क बनाए रखना। भगवान ने चाहा तो फिर मुलाकात होगी। उनकी आत्मीयता की मिठास से भरी बातों को सुनकर मेरी आंखें नम हो गयी। नमी को रोकते हुुए,उनके विदा ली। विक्रम चौक आने के बाद अनिमेष और बाकी साथियों से मिलकर विदा लेने के बाद जम्मू रेलवे स्टेशन के लिए आटो में सवार हुआ। स्टेशन पर पहुंचा तो ट्रेन लग चुकी थी, अपनी सीट पर बैठने के बाद मैं फिर सोचने लगा कि जम्मू से अचानक नोएडा के लिए आए बुलावे में, मेरे लिए क्या संदेश हो सकता है। और इस खबर को घर पर दूं या नहीं? ऐसे सैकड़ों सवाल के साथ पूजा एक्सप्रेस में नईदिल्ली के लिए यात्रा प्रारंभ की। ट्रेन की सीटी के साथ माता रानी को दिल से प्रणाम करने के साथ कहा मां अपना आर्शीवाद सदैव बनाए रखिएगा।
क्रमश:
बहुत ही मर्मस्पर्शी दिल को छू लेने वाली रिपोर्ट है . पिता जी का घर बुलाना . बेटी का उलाहना , अजब सिंह का अपनापन संपादक जी का अपनत्व क्या कहना ...................
जवाब देंहटाएंHeart Touching report Mishraji.............
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