हया के डर से हिना बनी आतंकी हथियार
जून 13, 2011
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14 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे महाकुंभ को लेकर सनातनियों में व्यापक उत्साह है। वहां लगने वाले गणेशानंद कैप…
पाकिस्तान की खुशरंग हिना राजकपूर की हिना में दिखी थी, एक हिना दिनेश तुम्हारी इस स्टोरी में दिखी। दोनो की अजीब कहानी है। कश्मीर का यह सच जानकर दिल दुखने के साथ तुम्हारी खबर की तह में जाने की आदत को देखकर लखनऊ अमर उजाला की लांचिंग की मेहनत याद आ गयी। जय हो
जवाब देंहटाएंकश्मीर के हालत पर यह खबर काफी पीड़ादायक है। आज भी वहां हालात नहीं बदले हैं।
जवाब देंहटाएंनाहिदा की दासता बहुत दर्दनाक महसूस हुई... पता नहीं क्यों भगवान ऐसे मासूम लोगो को हैवानो को शिकार बनाता है.... नाहिदा जैसी मासुस लड़की के जीवन का लक्ष्य ही बदल गया... सोच कर भी घिन आती है उन लोगो की हेवानियत पर...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंRAKHI THI SHAHAR KI BUNIYAAD KAISE LOGON NE , YE KAUN LOG HAIN JINME BHATAK RAHI HAI HAWA ,SAHAR KUCHH AUR THA AUR AB YE HAAL BAAGH KA HAI , KI PAANW RAKHTE HUE BHI THITHAK RAHI HAI HAWA ...... ( PARVEEN SHAQIR )
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया दिनेश जी, इस स्टोरी ने आत्मा को झंकझोर दिया। बहुत कुछ इस लेख से सिखा। इसके लिए बहुत—बहुत बधाई--
जवाब देंहटाएंमुकेश चंद्रा
निःशब्द
जवाब देंहटाएंकश्मीर की अवाम दोहरी मार झेलती रही है। मुसलमान होने के नाते चरमपंथियों मि जायज़-नाज़ायज मांगों को स्वीकार करना जहाँ मज़बूरी रही है वहीँ उनके अत्याचार मो सहन करना भी। भारतीय सेना, सुरक्षाबलों और सरकार के साथ खड़े होकर भी यह दोहरी मार झेलना मज़बूरी रही है। सेना और सरकार मुसलमान होने के नाते कभी भी शक़ कर सकती है और शांति का समर्थक होने की सज़ा चरमपंथियों से भी मिलती रही है। लेकिन इसके लिए ये खुद भी गुनहगार हैं। जब कश्मीर में इनके सहयोग की जरूरत थी तो इन्होंने भारत सरकार का सहयोग करने की बजाय अलग देश का का ख्वाब पाला।
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